बच्चो का आत्म-सम्मान कैसे बढ़ाये ?

बच्चो का आत्मसम्मान कैसे बढ़ाये ?

      बच्चो का आत्म – सम्मान Self-esteem कैसे बढ़ाये ? बच्चो में स्वभावत : कुछ ऐसे फैक्टर कहे या गुण ( निर्माण भी )होते है जिसके चलते ( कारन) उनके खुदपर परिणाम होता रहता है। एक पेरेंट्स को इन कारको ( factor’s) पहचानना और उसके परिणामोंसे बच्चो को बचाना होगा । बच्चो में एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण होने के लिए आत्मविश्वास पैदा होना बहुत जरुरी होता है । एक सही पैरेंटिंग का निष्कर्ष ही बच्चोंका सभी दृष्टिकोणसे विकास होना है


 

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क्या होता है आत्म – सम्मान ?

       आत्म – सम्मान ( भाव )अपने अंदर के कई शक्ति में से एक आतंरिक शक्ति है । अपने ऊपर और अपने मूल्योंपर परमोच्च विश्वास होना ही “आत्म – सम्मान” से जीना कहते है । इसके भाव के बिना हर अपना विचार या किसी भी प्रकार का दृष्टिकोण अपने हित( आदर भाव )  का नहीं बनता है । जिन बच्चो में आत्म – सम्मान की भावना होती है उन बच्चो को दूसरोंसे कैसे बात करनी है ये सीखने की जरुरत नहीं पड़ती ।अगर बचपन में ही इस भाव , दृष्टिकोण को जगाये ( achieve/ awake ) तो बच्चे एक यशस्वी जीवन को पाएंगे ।

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Teach children to respect बच्चो को रेस्पेक्ट करना सिखाये

      बच्चो को सबसे पहले दूसरोका सम्मान करना सिखाये । पेरेंट्स भी बच्चो का सम्मान करना चाहिए । इससे उनके अंदर सम्मान करना और सम्मान जनक बर्ताव की आदत बन जाएगी । पेरेंट्स अगर बच्चो से अच्छे तारा से बात करेंगे तो उसी तरह की बाते वो सिख जायेंगे और दूसरोंसे भी वैसे ही बात करेंगे । उन्हें खुद का भी रेस्पेक्ट करना समझ आ जायेगा । उनके लिए समय दे । अपने बातो के लिए पेरेंट्स से महत्व मिलना उनके अंदर एक उन सभी चीजों के प्रति विश्वास और बढ़ जाता है और इंटरेस्ट बढ़ जाता है । जिन बातो को करने या कहने से पैरेंट बचे रहे बच्चे भी दूर रहेंगे और एक मन में एक दृष्टिकोण बनता जायेगा । और इसकी आदत बन जाएगी ।

 

Unconditional love बिना शर्त प्यार

      Unconditional love किसी भी रिश्ते की नींव को मजबूत करती है और इस तरह का प्यार बच्चो में विश्वास को जगाती है। पेरेंट्स का हर बर्ताव , हर बात का बच्चे पर प्रभाव करता है । बच्चोके मनपर हर किसी शर्त पर मिलनेवाला प्यार दुलार भी असर करता जाता है । उन सारे शर्तो के बदले में मिलनेवाला प्यार मन में सच्चा और स्वाभाविक प्रतिक्रिया नहीं पैदा करता है। इस तरह का प्यार बच्चो का भावनिक विकास बिगाड़ देता है । और आत्म -सम्मान  का भाव कमजोर होने लगत है ।

 

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रोल मॉडल बने 

       बच्चा  हमेशा अपने अंदर एक आदर्श व्यक्ति की प्रतिबिम्ब को सजाते , बनाते रहता  है। अपने अंदर की कमियोंको वो खुद उस आदर्श व्यक्ति से तुलना करते रहता है और उसीके परिपेक्ष में हर काम को करता और देखता है। अपने बच्चो के वो कमजोर बातोंको जान कर आप उनके अंदर एक आत्मविश्वास जगा सकते है . पहले आप ( पेरेंट्स ) अपने अंदर वो तमाम बातें जिसकी बच्चे के आत्म -सम्मान के लिए जरुरी है वो वर्तन में लाये । जब जब उन सम्बंधित विषय या प्रसंगो को पायेगा उसे आपके व्यवहार प्रेरित करेगा ।

 

अपनी गलतियों / कमजोरी पर काम करे 

      बच्चे जरूर छोटे लगते हो लेकिन गलतियों पर मिली डांट को भूलते नहीं। उन्हें चाहिए अपनी हर भूल गलती को सुधरने के लिए सही मार्गदर्शन । और ये भी सही है की कुछ बच्चो को तोड़ना  फोड़ना , शरारत करना अच्छा लगता है। बच्चो में  शरारती गुण उनके लिए कुछ अच्छे भी और  बिगड़ने  की भी सम्भावना बानी रहती  है । ऐसे बच्चो पर कुछ जिम्मेदारी डालकर शरारत को  जिम्मेदारिसे कुछ हद तक maturity  में बदल ( सुधार ) सकते है । जिम्मेदारिसे बच्चो में खुदपर भरोसा बनने लगता है ।

 

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पसंद को बढ़ावा दे 

बच्चे अपने पसंद अपने चुनाव के प्रति बहुत निग्रही और गंभीर होते है । लेकिन ये भी सही है की अच्छे बुरे की भी समझ नहीं होता है , तब उनके  लिए क्या सही क्या गलत है  सही तरीके से जिम्मेदारी से पेरेंट्स को बताना जरुरी है । बच्चे पसंद रूचि की बात आती है तब ज्यादा उत्साहित होते है  चाहे गलत ही क्यों न हो  बिना नाराज किये या गलत भाग , गलत विषय को देखने का मार्ग दिखाए  न पहले खुद बताये । जो भी बात बच्चे को सही लगे एक मार्गदर्शक की तरह भूमिका में रहे । इस तरह से बच्चे को द्विधावस्था की सम्भावना कम ही देखने को मिलेंगे और बढ़ाते बच्चो के लिए एक दिन बढे से बढे निर्णय लेने में भी कोई तकलीफ और झिझक नहीं होगी न लेने पर कोई अपराधी की भावना पैदा होगी । हर निर्णय , पसंद के पीछे पेरेंट्स की होने की भावना बच्चो के आत्मा सम्मान भावना को और बल मिल जाता है ।

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