How to Make Your Kids Strong?

 

HOW TO MAKE STRONG KIDS ?बच्चो को मजबूत कैसे बनाये ?

देसी पेरेंटिंग ब्लॉग में आपका स्वागत है । भारतीय समाज में कुटुंब व्यवस्था बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण और सम्मानजनक विषय रहा है । अन्य सारी व्यवस्थाएं एक कुटुंब ( व्यवस्था ) के हित के ही परिपेक्ष में अपने संरचना को ढालती रहती है । क्योंकि इसकी मूल में भारतीय मूल्य और इसके प्रति जो विश्वास ,सम्मान और विरासत की तरह आगे बढ़ा रहे है । यही कारन है की अपना परिवार हर एक व्यक्ति के लिए एक शक्ति पीठ होता है । हर व्यक्ति के लिए अपना परिवार ही सबकुछ होता और परिवार हमेशा खुश और सुरक्षित रखने के लिए तत्पर रहते है । इस विषय में अपने बच्चो के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ उत्तम हो तो ही वे सही प्रकार से विकास होता जायेगा । जीवन की हर समस्या का सामना करने के लिए और सम्भावनाओंको पूरी या अपनी उद्देशके अनुसार उपयोगिता के लिए अपने बच्चो के मानसिक , बौद्धिक क्षमताओंको   सही प्रकार से विकास करना होगा।


 

WHAT DO ” STRONG KIDS” MEANS ? क्या होती है बच्चो की मजबूती

          बच्चो  की मजबूती विशेष कर उनके शारीरिक मानसिक और बौद्धिक क्षमता का उम्र के नुसार बिना रूकावट से विकास होना मतलब ही स्ट्रांग  किड्स बनना है। एक बात में ही मानना या हर मौसम में हर इन्फेक्शन से लड़ने क्व लिए प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है । किसी अनजान व्यक्ति को देखकर बिना डरे बात करे आदि लक्षण एक स्ट्रांग किड्स की व्याख्या पूर्ण बनती है 

 

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DEVELOPING RESILENCE . सहनशक्तिका विकास :

      सहनशीलता एक व्यक्ति की वो विशेष क्षमता होती है जो किसी भी आपदा या समस्या के साथ सहन करने और उसमे अनुकूलता दिखाने एक कोशिश होती है । उसमे से पुनः उभरने की क्षमता होती है । यह क्षमता व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न होती है , जो जैविक , सामाजिक , और पर्यावरणीय फैक्टर्स प्रभावित कराती है। पैरेंट को अपने बच्चो की बात मानने के गुण की तारीफ करते रहना चाहिए । जिससे उसको हर बात मानने या समझने की आदत लगा जाएगी । सहन शक्ति बच्चो को स्ट्रांग बनाती है ।

OVERCOMING FEAR ! किसी भी डर को जितना:

       जब बच्चा किसी चीज से डरता है जैसे छिपकली , अँधेरा और यह आम बात भी है तो ऐसे में जब बच्चो को हम पढ़ा रहे होते है तब जिस चीज से वो डरते है उन चीजों का जिक्र करो । पढ़ते वक़्त बच्चे उन चीजों को अलग दृष्टिकोण से देख रहे होते है । हर प्राणी की चित्रों को दिखाकर उसके द्वारा उनका डर भगा सकते . जो चीज / बात डरा ( डरा कर रखती है ) देती है उसपर का ध्यान या तो आगे शिफ्ट करो या उन्ही बातो पर सूक्ष्म से गौर ( फोकस ) कराओ । बच्चा डर के बजाय कुछ नया अनुभव करने लगेंगे । जो बात पहले डराया करती थी वही अब उन्हें कुछ और सीखा / बता रही होती है। बच्चे निडर (mentally strong) होना सिख जायेंगे।

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POSITIVE SELF TALK . सकारात्मक बातें :

        चाहे जितनी भी मुश्किल की सम्भावना हो बच्चो से कभी भी पीछे हटाने या हारने की भावना नहीं होनी देनी चाहिए । रोजमर्रा की सभी चीजों को देखने का नजरिया हमेशा सकारात्मक ही होनी चाहिए । और हमें भी उनके सामने हमेशा हर बात पोज़िटिवेली ही करनी चाहिए। हर बात सुनने के बाद उसकी छाप सबकॉन्ससियसली एक ऊर्जा के रूप में संचयित होती रहती है । ये चीजे हमेशा ध्यान में रखनीचाहिए और पालन करनी चाहिए ।

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PROBLEM SOLVING SKILL : समस्या समाधान कौशल्य :

          किसी भी बच्चे का बौद्धिक विकास करना हो तो उसकी नज़र हर चीज/ विषय को एक व्यापक दृष्टिकोण देना होगा । जिससे किसी समस्या का हल ढूंढने या समस्या को और नज़दीकसे जानने में मदत मिलेगी । अपने बच्चो कोई टास्क देकर उसे हल करने का एक गेम की तरह भी खेलकर इस स्किल का विकास कर सकते है । एकेक टास्क देकर धीरे धीरे उसकी डिफीकल्टी बढ़ा सकते है । लेकिन अगर आप किसी गेम( वीडियो ) के जरिये ये आजमा रहे है तो सावधान रहिये । एक ही तरह का गेम खेल( मानसिक संतुलन ) बिगाड़ भी सकता है । ये एक कुछ पल के लिए वक़्त देनी चाहिए । वरना बच्चा दिनभर उसी टास्क में डूबा रहेगा और सुलझा न जाने पर चिड़चिड़ा भी हो सकता है। याद रखिये बच्चे को हर चीज सही मात्रा / प्रमाण में देना ही उचित होगा । बच्चो का मानसिक विकास बहोत संवेदनशील विषय है । इसके लिए मानसिक तौर पर सशक्त बनाने को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए ।

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MAKE MENTALLY STRONG : मानसिक रूप से मजबूत

             बच्चोंको मानसिक तौरपर सशक्त बनाना बहोत जरुरी है। उत्तम मानसिक स्वास्थ्य के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए । किसी भी चुनौती के लिए बच्चे का प्राथमिक शक्ति है मानसिक स्थैर्य । मानसिक रूप से मजबूत बच्चे न हार से निराश होते है न की किसी भी समस्या से डरा करते है । उनके उम्र के और स्किल के अनुसार कुछ जिम्मेदारी देकर उनको काबिल बना सकते है। उनमे एक जिम्मेदारी की भावना जागकर एक अवेयरनेस जगा सकते है ।

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बच्चो पर भरोसा रखे :

          बच्चे हमेशा कॉपी करते है । कुछ भी देखते है तो उसका अनुकरण करने लगते है । जो भी आप उनके सामने करते है उसको वे खुद करने की कोशिश करने लगते है । बिना सिखाये ही बच्चे कैसे काम करते है इसका भी आपको निरिक्षण करना होगा । और बिना गलती ( कसर ) निकाले तारीफ करो ।  कभी कभी बिना पूछे ही पानी लाकर देना या कोई भी वो काम जिसे पेरेंट्स को करते हुए देखा हो ।आपकी प्रतिक्रिया से बच्चा खुदको गलत या अपराधी नहीं माननी चाहिए लेकिन जहाँ सुधार की आवश्यकता रहेगी वो  करनी चाहिए । आप ये नहीं कर सकते , वो नहीं कर  सकते ऐसी नेगेटिव बाते नहीं करनी चाहिए । जो भी करता है बच्चा सही कर रहा है इसका भरोसा करे । ये बात उनमे आत्म – विश्वास पैदा करता है  

conclusion

            इस प्रकार से अपने बच्चो को उनकी स्वाभाव और गुण को जानकर उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता नुसार उनको सशक्त बनाकर उन्हें सही मार्ग पर आगे बढ़ा सकते है। बचपन की सीख और कौशल्य उन्हें हर समय काम आएगा और अपने जीवन सफल होकर रहेगा ।

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