Bachcho Par Honewale Mobile ke Dushparinam

बच्चो पर MOBILE के दुष्परिणाम

MOBILE बच्चो को सबसे पहले हम ही आदत लगाने की   । पर हमने   अगर आपका बच्चा हमेशा  Mobile में ही लगा रहता है और किसी अन्य एक्टिविटी में Mobile जितना इंटरेस्ट नहीं लेता है तो सावधान हो जाइये । आपका  बच्चा Mobile के Dushparinam का शिकार हो सकता है । वक़्त रहते इसके सम्बन्ध में कदम उठाये ताकि इसके दुष्परिणाम से बच्चे को  बचाया जा सके ।

 

MOBILE से शारीरिक कमजोरी

 

 

MOBILE का बच्चो पर होनेवाला सबसे ज्यादा और पहला परिणाम की उनका शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न  होने में होता है । OUTDOOR खेलो में रूचि न होना या बनना ये बच्चे के हेल्थ पर असर करनेवाला होगा । हमेशा मोबाइल की ही बाते मन में चलते रहेंगे । MOBILE से जुडी बातो मे ही रुची बढ़ता जायेगा । बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर करेगा । सही वक़्त पर मोबाइल के लत की तीव्रता को कम नहीं किया गया तो खाने  पिने  और सोने तक का होश नहीं रहता । निश्चित ही ये अवस्था चिंताजनक होगी ।  तो बच्चो का मोबाइल से किस लेवल का अटैचमेंट है चेक करते रहना चाहिए । छोटे बच्चो को 30 MIN से ज्यादा देर मोबाइल नहीं देनी चाहिए। ज्यादा देर तक मोबाइल को देखनेसे आंखों पर दबाव पड़ता है । स्क्रीन की रौशनी  आँखों को  कमजोर बना सकती है । मोबाइल से निकलनेवाले RADIATION  को बच्चो के लिए काफी हानिकारक माना गया है । रेडिएशन के कारन बच्चोमे  सिर दर्द , तंत्रिका विकार तथा मन पर भी अनिद्रा , स्वाभाव में चिड़चिड़ापन , डिप्रेशन , शार्ट टेम्पर , व्यवहार में भी नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है । ये और भी कई सारे खतरे बच्चे की ‘life expectancy’  को कम करते है ।

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मानसिक विकास में बाधा

 

मोबाइल का इस्तेमाल सीमित दायरे से आगे बच्चो के स्वभाव और मानसिक अवस्था को भी प्रभावित कर सकता है । बच्चो के मानसिक विकास  बाधा उत्पन्न करता है । बच्चो के पसंद नपसंद गलत प्रकार के बनने , किसी बात की तरफ ध्यान न जाना  इत्यदि चीजे देखे जा सकते है । हाथ में मोबाइल हो तो सुनने के लिए भी बच्चे तैयार न हो तो parent’s को सावधान होना चाहिए । उम्र के अनुसार जो बच्चो में मानसिक , स्वाभाविक , सामाजिक , व्यावहारिक इत्यादि का विकास जो NATURALLY बनता रहता है उसमे मोबाइल खलल डाल देता है ।  ‘psychological dependence ‘ ये इसके दुष्परिणाम का उदहारण है ।

 

MOBILE छुड़ाने का तरीका

 

आखिर अपने बच्चे की लत को किस तरीके से छुड़ाया जाये ? बच्चे की हरकत  या मोबाइल के प्रति आदि होना किसी भी पेरेंट्स को गुस्सा आना तथा चिंता होना स्वाभाविक ही है । जब गुस्सा आता है तब एक ही तरीका सूझता है और वो है चिल्लाकर बोलना । बच्चे   इस मोबाइल के इस्तेमाल को इतनी बड़ी गलती नहीं मानते है क्यूंकि ना  वे इसके परिणाम का पता है न इसके सही उपयोग के बारे मे उन्हें उसमे एक आनंद आता है । तो वे ऐसे में चिल्लाने पर  सही से जान नहीं पाएंगे की  क्या  गलत हुआ ।  जब कोई बात बच्चे को गलत होने का मान लेते है तभी वे अच्छे से  INSTRUCTIONS को  मन  से रिस्पांस देंगे  ये याद रखे  parent’s ।  गलत तरीके से बच्चो से कुछ न  समझाये न  करवाए। जब  बात बच्चो के स्वास्थ्य के विषय में हो तो parent’s  सरियस ही होते है । बार बार समझाने पर भी बच्चे  अगर न सुने तो  मारपीट करने तक भी बात चली जाती  है । तो यहाँ पर बच्चे के मन पर गहरा परिणाम पड़ सकता है । बच्चे अपने पेरेंट्स के इसके पीछे के उद्देश्य को समझ नहीं पाते और गलत भाव पैदा होने की भी सम्भावना बनती है । आगे जाकर पेरेंट्स और बच्चो के बीच के सम्बन्ध बिगड़ भी सकते है ।

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समय की बर्बादी

 

mobile की लत के कारन बच्चो का डेली रूटीन बिगड़ जाता है । बच्चे के दिनभर के तमाम जरुरी चीजों में मोबाइल एक ही ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाने से बाकि के जैसे खाना पीना , पढाई (homework ), कहानी सुनना , बहार जाकर दूसरे बच्चो के साथ मिलकर खेलना , इत्यादि के लिए  बच्चे न समय दे पाते है न उनमे INTEREST  पैदा  होता है । सारा समय अगर मोबाइल छीन लेगा तो दूसरे ACTIVITIES के लिए समय ही नहीं बचेगा । ENTERTAINMENT के लिए तो अन्य साधन भी है जो बच्चे के मानसिक विकास को संतुलन बनाये रखता है ।

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